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ट्रेडर्स द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न यहां दिए गए हैं।
स्टॉक या शेयर के रूप में पहचानी जाने वाली इक्विटी, कंपनी के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। इक्विटी खरीदकर आपके शेयरधारक बनने पर कंपनी के लाभ और एसेट पर आपका क्लेम बनता है। दूसरी ओर, बॉन्ड ऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं और उधारकर्ता (आमतौर पर कंपनी या सरकार) ब्याज का भुगतान करने और परिपक्वता पर मूल राशि चुकाने के लिए बाध्य है।
इक्विटी ट्रेडिंग में पूंजीगत मूल्यवृद्धि और लाभांश कमाने की संभावना का अवसर मिलता है। इक्विटी ट्रेडिंग के मुख्य तीन लाभ हैं - सीमित देयता, उच्च लिक्विडिटी, और पूंजीगत लाभ।
इक्विटी का मूल्य अत्यधिक अस्थिर हो सकता है और कम समय में इसमें काफी उतार-चढ़ाव संभव है। इसके अलावा, आपके पास जिस कंपनी की इक्विटी हो वह खराब प्रदर्शन कर सकती है या दिवालिया हो सकती है, जिससे आपके निवेश का नुकसान हो सकता है।
इक्विटी ट्रेडिंग शुरू करने के लिए, आपको ब्रोकरेज अकाउंट ओपन करना होगा। फंड डिपॉजिट कर फिर आप जो इक्विटी खरीदना चाहें उन पर रिसर्च कर उनका चयन शुरू कर सकते हैं। कोई निवेश निर्णय करने से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श या अपनी रिसर्च अवश्य करें।
इक्विटी ट्रेडिंग में ब्रोकरेज कमीशन, अकाउंट रखरखाव शुल्क और मार्जिन ब्याज प्रभार जैसे शुल्क होते हैं। अकाउंट ओपन करने से पहले इन शुल्कों की जानकारी लेना और विभिन्न ब्रोकरेज फर्मों से उनकी तुलना करना महत्वपूर्ण है।
एसेट का स्वामित्व: स्टॉक पर CFD का ट्रेड करने पर आपके पास अंतर्निहित एसेट नहीं बल्कि अनुबंध होता है जो स्टॉक के मूल्य का उतार-चढ़ाव ट्रैक करता है। इक्विटी ट्रेडिंग में आप स्टॉक के वास्तविक शेयरों के मालिक होते हैं।
लीवरेज: CFD ट्रेडिंग में आपको लीवरेज से ट्रेड करने का अवसर मिलता है, अर्थात आप कम पूंजी से बड़ी पोजीशन नियंत्रित कर सकते हैं। इससे संभावित लाभ बढ़ सकता है लेकिन संभावित नुकसान भी बढ़ता है। दूसरी ओर, इक्विटी (भौतिक स्टॉक) में लीवरेज ऑफर नहीं होती, अर्थात आपको शेयरों की पूरी कीमत का भुगतान अग्रिम तौर पर करना होगा और किसी भी लीवरेज एक्सेस करने का अवसर नहीं मिलेगा।
इसके अलावा, इक्विटी ट्रेडिंग के मुकाबले CFD ट्रेडिंग में कम शुल्क और कमीशन हो सकता है।
शॉर्ट (बेचें) पोजीशनें: CFD स्टॉक ट्रेडिंग में ट्रेडर शॉर्ट (सेल) पोजीशनें कर सकते हैं, अर्थात ट्रेडर किसी एसेट पर वास्तव में बिना स्वामित्व के उसे बेचकर गिरती कीमतों से फायदा उठा सकते हैं। इसके विपरीत, वास्तविक (भौतिक) स्टॉक ट्रेडिंग में ट्रेडर शॉर्ट (सेल) पोजीशन ओपन नहीं कर सकते, क्योंकि स्टॉक बेचने से पहले ट्रेडर को उसका मालिक होना पड़ता है। इसलिए, भौतिक स्टॉक पर केवल लॉंग (खरीदें) पोजीशन कर सकते हैं।